कोरानावायरस के संदिग्धों और मरीजों की बढ़ती संख्या की वजह से देश में अब 52 लैब में नमूनों की जांच की इजाजत दी गई है। इन लैब तक सैंपल पहुंचाने का जिम्मा दो कोरियर एजेंसी को दिया गया है, जो इक्यूप्ड बॉक्स में सैंपल रखकर हवाई जहाज से संबंधित प्रयोगशाला तक पहुंचा रही हैं।
सैंपल पहुंचने में 6 से 10 घंटे का समय लग रहा
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि हवाईजहाज की उपलब्धता के अनुसार लैब तक सैंपल पहुंचाने में 6 से 10 घंटे तक लग रहे हैं। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के निदेशक डॉ सुजीत सिंह ने बताया कि सैंपल की जांच में छह घंटे का समय लगता है, लेकिन यह समय कई बार बढ़ जाता है क्योंकि एक बार मशीन पर सैंपल की जांच होने लगी और उसके बाद कुछ सैंपल उसी लैब में जांच के लिए पहुंचे तो जांच का समय छह घंटे की जगह 14 से 16 घंटे तक हो जाता है।
साढ़े सात हजार सैंपल की जांच हुई
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के वैज्ञानिक डॉ आर गंगाखेड़कर ने बताया कि अभी तक साढ़े सात हजार से ज्यादा सैंपल की जांच हो चुकी है। किसी भी संदिग्ध की दो बार जांच की जाती है। हालांकि, अभी संदिग्ध की जांच का पूरा खर्च सरकार उठा रही है। पहली जांच में 1500 रुपए खर्च होते हैं। दोनों बार की जांच मिलाकर सरकार को करीब 5000 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। चार हजार से ज्यादा ऐसे लोग हैं जो कोराना मरीज के किसी न किसी रूप में संपर्क में आए हैं उनको सर्विलांस पर रखा गया है।